Friday, April 19, 2024
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Shri Ram Stuti in Marathi

Shri Ram Stuti in Marathi

श्रीरामस्तुति

संसारसंगे बहु शीणलो मी | कृपा करी रे रघुराजस्वामी | प्रारब्ध माझे सहसा टळेना | तुजवीण रामा मज कंठवेना || १ ||

मन हे विकारी स्थिरता न ये रे | त्याचेनि संगे भ्रमते भले रे | अपूर्व कार्या मन हे विटेना || तुजवीण रामा मज कंठवेना || २ ||

मायाप्रपंची बहु गुंतलो रे | विशाळ व्याधीमधें बांधलो रे | देहाभिमाने अति राहवेना | तुजवीण रामा मज कंठवेना || ३ ||

दारिद्र्यदु:खे बहु कष्टलो मी | संसारमायेतचि गुंतलो मी | संचीत माझे मजला कळेना | तुजवीण रामा मज कंठवेना || ४ ||

लक्ष्मीविलासी बहु सौख्य वाटे | श्रीराम ध्याता मनि कष्ट मोठे | प्रपंचवार्ता वदता विटेना | तुजवीण रामा मज कंठवेना || ५ ||

अहोरात्र धंदा करिता पुरेना | प्रारब्धयोगे मज राहवेना | भवदु:ख माझे कधीही टळेना | तुजवींण रामा मज कंठवेना || ६ ||

तीर्थासी जाता बहु दु:ख वाटे | विषयातरी राहुनी सौख्य वाटे | स्वहीत माझे मजला कळेना | तुजवीण रामा मज कंठवेना || ७ ||

मी कोठुनी कोण आलो कसा हो | स्त्रीपुत्र-स्वप्नातची गुंतलो हो | ऐसे कळोनी मन हे विटेना | तुजवीण रामा मज कंठवेना || ८ ||

असत्य व्याख्यानी मुकाच झालो | अदत्तदोषे दु:खी बुडालो| अपूर्व करणी कशी आठवेना | तुजवीण रामा मज कंठवेना || ९ ||

आब्रम्हमूर्ती भज रामसिंधू | चैतन्य स्वामी निजदीनबंधू | अभ्यंतरी प्रेम मनी ठसेना | तुजवींण रामा मज कंठवेना || १० ||

विश्रांति देही अणुमात्र नाही | कुळाभिमाने पडलो प्रवाही | अशातुनी दूर कधी कळेना | तुजवीण रामा मज कंठवेना || ११ ||

विषयी जनानी मज आळवीले | प्रपंचपाशातचि बुडवीले | स्वहीत माझे मजला दिसेना | तुजवींण रामा मज कंठवेना || १२ ||

नरदेहदोषा वर्णू किती रे | उच्चाट माझे मनि वाटती रे | लल्लाटरेषा कधि पालटेना | तुजवीण रामा मज कंठवेना || १३ ||

मजला अनाथा प्रभु तूचि दाता | मी मूढ़ की जाण असेची आता | दासा मनी आठव वीसरेना | तुजवीण रामा मज कंठवेणा || १४ ||

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