Maa Brahmacharini
2nd Form of Navdurga: कठोर तप और ध्यान की देवी “ब्रह्मचारिणी” माँ दुर्गा का दूसरा रूप हैं। इनकी उपासना नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है।
देवी ब्रह्मचारिणी: ‘ब्रहाचारिणी’ माँ पार्वती के जीवन काल का वो समय था जब वे भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या कर रही थी। तपस्या के प्रथम चरण में उन्होंने केवल फलों का सेवन किया फिर बेल पत्र और अंत में निराहार रहकर कई वर्षो तक तप कर भगवान शिव को प्रसन्न किया। इनके दाहिने हाथ में जप की माला और बाएँ हाथ में कमण्डल है।
नवरात्र २०१९ (2nd Day of Navratri): ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा नवरात्र के दूसरे दिन यानि ३० सितम्बर २०१९ को की जाएगी।
माँ ब्रह्मचारिणी का मंत्र (Mata Brahmacharini Mantra):
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना के लिए यह मंत्र है-
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
ब्रह्मचारिणी की ध्यान (Mata Brahmacharini Dhyan)
वन्दे वांच्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम् । जपमालाकमण्डलुधरां ब्रह्मचारिणीं शुभाम् ।।
गौरवर्णां स्वाधिष्ठानास्थितां द्वितीय दुर्गां त्रिनेत्राम् । धवलपरिधानां ब्रह्मरूपां पुष्पालंकारभूषिताम् ।।
पद्मवदनां पल्लवाराधरां कातंकपोलां पीनपयोधराम् । कमनीयां लावण्यां स्मेरमुखीं निम्ननाभिं नितम्बिनीम् ।।
ब्रह्मचारिणी की स्तोत्र पाठ: (Mata Brahmacharini Stotra)
तपश्चारिणीं त्वां हि तापत्रयनिवारिणीम् । ब्रह्मरूपधरां ब्रह्मचारिणीं प्रणमाम्यहम ।।
नवचक्रभेदिनीं त्वां नवैश्वर्यप्रदायनीम् । धनदां सुखदां ब्रह्मचारिणीं प्रणमाम्यहम् ।।
शंकरस्य प्रिया त्वं हि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनी । शान्तिदामानन्दां ब्रह्मचारिणीं प्रणमाम्यहम् ।।
ब्रह्मचारिणी की कवच ( Mata Brahmacharini Kavach)
त्रिपुरा हृदये पातु ललाटे शिवभामिनी । अपर्णा मे सदा पातु नेत्रेSधरे कपोलके ॥
पंचदशी कण्ठे पातु मध्यदेशे महेश्वरी । षोडशी मे सदा पातु नाभौ गुदं च पादयोः ।
अंगं च सततं पातु प्रत्यंगं ब्रह्मचारिणी ।।
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