Friday, March 29, 2024
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Rishi Panchami Vrat Katha in Hindi

Rishi Panchami Vrat Story

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी ऋषि पंचमी के रुप में मनाई जाती है। इस व्रष ऋषि पंचमी व्रत 18 सितंबर 2015 को गुरुवार के दिन आया है। ऋषि पंचमी का व्रत सभी के लिए फल दायक होता है। इस व्रत को श्रद्धा व भक्ति के साथ मनाया जाता है। आज के दिन ऋषियों का पूर्ण विधि-विधान से पूजन कर कथा श्रवण करने का बहुत महत्व होता है। यह व्रत पापों का नाश करने वाला व श्रेष्ठ फलदायी है। यह व्रत और ऋषियों के प्रति श्रद्धा, कृतज्ञता, समर्पण एवं सम्मान की भावना को प्रदर्शित करने का महत्वपूर्ण आधार बनता है।

ऋषि पंचमी पूजन | Rishi Panchami Puja Rituals

पूर्वकाल में यह व्रत समस्त वर्णों के पुरुषों के लिए बताया गया था, किन्तु समय के साथ साथ अब यह अधिकांशत: स्त्रियों द्वारा किया जाता है। इस दिन पवित्र नदीयों में स्नान का भी बहुत महत्व होता है। सप्तऋषियों की प्रतिमाओं को स्थापित करके उन्हें पंचामृत में स्नान करना चाहिए। तत्पश्चात उन पर चन्दन का लेप लगाना चाहिए, फूलों एवं सुगन्धित पदार्थों, धूप, दीप, इत्यादि अर्पण करने चाहिए तथा श्वेत वस्त्रों, यज्ञोपवीतों और नैवेद्य से पूजा और मन्त्र जाप करना चाहिए।

ऋषि पंचमी कथा | Rishi Panchami Katha

एक समय विदर्भ देश में उत्तक नाम का ब्राह्मण अपनी पतिव्रता पत्नी के साथ निवास करता था। उसके परिवार में एक पुत्र व एक पुत्री थी। ब्राह्मण ने अपनी पुत्री का विवाह अच्छे ब्राह्मण कुल में कर देता है परंतु काल के प्रभाव स्वरुप कन्या का पति अकाल मृत्यु को प्राप्त होता है, और वह विधवा हो जाती है तथा अपने पिता के घर लौट आती है। एक दिन आधी रात में लड़की के शरीर में कीड़े उत्पन्न होने लगते है़।

अपनी कन्या के शरीर पर कीड़े देखकर माता पिता दुख से व्यथित हो जाते हैं और पुत्री को उत्तक ॠषि के पास ले जाते हैं। अपनी पुत्री की इस हालत के विषय में जानने की प्रयास करते हैं। उत्तक ऋषि अपने ज्ञान से उस कन्या के पूर्व जन्म का पूर्ण विवरण उसके माता पिता को बताते हैं और कहते हैं कि कन्या पूर्व जन्म में ब्राह्मणी थी और इसने एक बार रजस्वला होने पर भी घर बर्तन इत्यादि छू लिये थे और काम करने लगी बस इसी पाप के कारण इसके शरीर पर कीड़े पड़ गये हैं।

शास्त्रों के अनुसार रजस्वला स्त्री का कार्य करना निषेध है परंतु इसने इस बात पर ध्यान नहीं दिया और इसे इसका दण्ड भोगना पड़ रहा है। ऋषि कहते हैं कि यदि यह कन्या ऋषि पंचमी का व्रत करे और श्रद्धा भाव के साथ पूजा तथा क्षमा प्रार्थना करे तो उसे अपने पापों से मुक्ति प्राप्त हो जाएगी। इस प्रकार कन्या द्वारा ऋषि पंचमी का व्रत करने से उसे अपने पाप से मुक्ति प्राप्त होती है।

इसलिए उस पाप को शुद्धि के लिए ही हर स्त्री को ॠषि पंचमी का व्रत करना चाहिए।

 ऋषि पंचमी मंत्र  | Rishi Panchami Mantra

आयुर्बलम् यसो वर्चः प्रजाः पसु वसूनि च
ब्रह्मा प्रज्ञाम च मेधाम च तवं तो देवो वनस्पति

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